आईपीएस तेजस्विनी गौतम: नुक्कड़ नाटक ही नहीं बल्कि असल जिंदगी में भी हीरो

आईपीएस तेजस्विनी गौतम एक परिचय –


16 जून 1989 को जन्मीं आईपीएस तेजस्विनी गौतम मूलतः पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी की रहने वाली हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के लेड़ी श्रीराम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में बीए किया। दिल्ली विश्वविद्यालय से ही एलएलबी किया है। दोनों ही डिग्रीयों में इन्होंने न सिर्फ टॉप किया है बल्कि ये गोल्ड़ मैडलिस्ट भी रही हैं। इन्होंने एक बार नहीं बल्कि तीन बार यूपीएससी क्लियर किया है। आईपीएस तेजस्विनी गौतम वर्ष 2013 बैच की राजस्थान कैड़र की ऑफिसर हैं। वर्तमान में जिला अलवर की पुलिस कप्तान के तौर पर कार्य कर रही हैं।


पढ़ाई के दिनों से ही थियेटर से है गहरा जुड़ाव, जो अब ला रहा बड़ा सामाजिक सकारात्मक बदलाव –


आईपीएस तेजस्विनी गौतम को स्कूल-कॉलेज के दिनों से ही थियेटर से गहरा लगाव रहा है जिसे इन्होंने अभी भी पूरी तरह से जिंदा रखा हुआ है। अपने नुक्कड़ नाटकांे से ये स्कूल-कॉलेज जाने वाली छात्राओं को उनके साथ होने वाली छेड़छाड़ के संबंध में शिकायत दिए जाने को लेकर भी जागरूक करती हैं। खास बात यह है कि नुक्कड़ टीम का चुनाव ये स्वयं करती हैं। इसके लिए ऑड़िशन लिए जाते हैं। टीम को इनके द्वारा न सिर्फ अभिनय का प्रशिक्षण दिया जाता है बल्कि इसकी स्क्रिप्ट भी ये स्वयं ही लिखती हैं। टीम में शामिल होने वाले पुलिसकर्मी इस नाटक के जरिए जनता के बीच पुलिस का भय तो समाप्त करते ही हैं उन्हें कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया जाता है।


जब पुलिस महानिदेशक उतरे समर्थन में –

अपनी प्राइम पोस्ंिटग से ही इन्होेंने नुक्कड़ नाटकों के जरिए जब नवाचारों को किया तो कुछ सीनियर कहने लगे कि इन्हें पुलिसिंग नहीं आती है लेकिन इनके इस नुक्कड़ नाटक के सकारात्मक बदलाव समाज में साफ तौर पर देखने को मिले। जनता इनके समर्थन में थी तो बहुत सारे सीनियर्स ने भी इनके काम को सराहा। पुलिस महानिदेशक ने खुले तौर पर इनकी प्रशंसा की और अपने नुक्कड़ नाटकों वाले नवाचारों को जारी रखने को कहा गया।


नशामुक्त कराये सैंकड़ों बच्चें –


आईपीएस तेजस्विनी गौतम ने अपनी अजमेर पोस्टिंग के दौरान प्रेरणा नामक योजना से एक सप्ताह के भीतर ही 67 बच्चों को नशे की लत से मुक्त करवाकर उनका पुनर्वास करवाया। रेल्वे स्टेशन के इर्द-गिर्द कचरा बीनने वाले ये बच्चे का से मिले पैसों से व्हाइटनर खरीदकर नशा करते थे जिसकी इन्होंने खुद ही काउंसलिंग की। बच्चों को प्यार से समझाकर एक स्वयंसेवी संस्था की मदद से उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए मनाया। इनकी इस मुहिम ने देश के भविष्य बनने वाले बच्चों को एक अच्छी नई जिंदगी की शुरूआत दी।

चुरू जिला कप्तान रहते किया कोरोना का खात्मा


आईपीएस तेजस्विनी गौतम कोरोना की पहली लहर में चुरू जिला पुलिस कप्तान के तौर पर तैनात थी। संकट को देखते हुए सम्पूर्ण लॉकडाउन लगाया हुआ था। उस समय लोगों को घरों पर ही रहने के लिए इन्होंने जो काम किये वो काबिलेतारीफ थे। इनके द्वारा वहां भी नवाचार किये गये। इन्होंने कुछ ऑनलाइन प्रतियोगिताओं की शुरूआत की। चुरू पुलिस ने फिल्मस्थान एवं संप्रीति नाम की संस्था के साथ मिलकर 17 कैटेगिरी मे प्रतियोगिताएं शुरू की जिसमें लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। तो शाम के समय लोगों को घर पर ही रोकने के लिए इन्होंने बॉलीवुड़, योग, थियेटर की शख्सियतों को जोड़कर चुरू पुलिस फेसबुक पेज पर लाइव करवाए। जिसमें हजारों की संख्या में लोग मनोरंजन के साथ सहर्ष घरों पर ही रहे।


जब इंसानियत की मिशाल बनी –


कोरोना काल में आईपीएस तेजस्विनी गौतम इंसानियत की मिशाल बनकर उभरी। रात के समय ड्यूटी करने वाले अपने जवानों के लिए ये घर से चाय बनाकर उन तक पहुंचाती रही और उनकी हौंसला आफजाई करती रही तो बेजुबान जानवरों को भी खाना खिलाती देखी गई। इन्होंने जिले में एक अभियान चलाया और लोगों से शपथ भी ली गई कि मेरी गली में कोई बाहर नहीं निकले और मेरी गली में कोई भूखा नहीं सोयेगा। इसमें अनेक जानी-मानी हस्तियों को जोड़ा गया और उनसे भी लोगों से ऐसा करने की अपील करवाई गईं।


कार्यशैली से सरकार की गुडबुक में –


आईपीएस तेजस्विनी गौतम अपनी कार्यशैली से लगातार सरकार की गुडबुक में बनी हुई है। सरकार पूरे भरोसे के साथ इन्हें महत्वपूर्ण जिलों की कमान देती रही है जिस पर ये पूरे आत्मविश्वास के साथ बेहतर काम पर लगी हुई हैं।

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