राजस्थान के इस आईएएस ने जिलाधीश रहते वो काम किये जिनकी तासीर याद रखी जायेगी

कहने को कानून भले ही विधायिका बनाती है लेकिन उन्हें धरातल पर लाकर परिणाम में बदलने का काम कार्यपालिका ही करती है। कोई भी योजना चाहे कितनी ही अच्छी क्यूं नहीं हो यदि उसे ठीक तरह से अमल में नहीं लाया जाता है तो बेहतर परिणाम पाने की इच्छा रखना बेमानी होगी। लेकिन विधायिका के बने कानूनों या योजनाओं के इतर भी कई बार कार्यपालिका ऐसे काम करती है जो मिशाल बन जाते है और उनकी तासीर लम्बें समय तक याद रखी जाती है। जी हां, आज एक ऐसी ही शख्सियत की हकीकत आप तक पहुंचा रहे हैं जो अपने काम से लगातार समाज की दशा-दिशा संवारने के काम में लगे हुए हैं। ये शख्सियत हैं राजस्थान कैड़र के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पी सी किशन।

आईएएस पी सी किशन एक परिचय –

26 जून 1974 को जन्में आईएएस पी सी किशन मूलरूप से उड़ीसा के रहने वाले हैं। इन्होंने मैकेनिकल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। राजस्थान कैडर के वर्ष 2005 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं। वर्तमान में सचिव, अल्पसंख्यक एवं वक्फ डिपॉर्टमेंट के पद पर पदस्थ हैं

डूंगरपुर कलक्टर रहते हजारों बच्चों को बालश्रम एवं बाल तस्करी से करवाया मुक्त –

आईएएस पी सी किशन अगस्त 2009 में डूंगरपुर जिले में बतौर कलक्टर लगाये गये। वहां शुरूआत में ही इनके ध्यान में आया कि यहां हजारों की संख्या में बालश्रमिक कपास के खेतों में काम करते हैं। इस काम में बड़े-बड़े ठेकेदार लिप्त थे। जो पड़ौसी राज्यों से बालतस्करी करते एवं उनसे यहां मजदूरी करवाते थे। कलक्टर पी सी ने इस पर चाबुक चलाना जरूरी समझा क्यूंकि उनकी नजर में यह सवाल सिर्फ एक अपराध का ही नहीं था बल्कि आगे चलकर देश का भविष्य बनने वाले बच्चों की बर्बाद होती जिंदगी का भी था। इन्होंने सबसे पहले स्थानीय लोगों को भरोसे में लिया और फिर उनके सहयोग से इसके पूरी तरह से सफाये के काम में जुट गए। कलक्टर पी सी किशन के इस काम का असर ही था कि सभी बड़े ठेकेदार भूमिगत हो गये। इस मुहिम में कपास के खेतों में बाल मजदूरी करने वाले लगभग 40,000 बालश्रमिक मुक्त करवाये गये। सभी बालश्रमिकों के पुर्नवास की व्यवस्था की गई एवं ऐसे बालश्रमिकों को विद्यालयों से जोड़ा गया। बालश्रम में लगे बच्चों के परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट नहीं आये इसके लिए इनके माता-पिता को मनरेगा योजना में रोजगार दिलवाया गया।

कलक्टर रहते हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में खोली गरीब बच्चों के लिए लाइब्रेरियां –

आईएएस पी सी किशन ने हनुमानगढ़ जिला कलक्टर रहते वहां की नशे के लिए बदनाम बस्तियों में लाइब्रेरियां खोली। इन लाइब्रेरियों में ऐसे बच्चों को आकर शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। बच्चों को रिझानें के लिए यहां शतरंज प्रतियोगिताएं करवाई गई। 6-12 आयु वर्ग के बच्चों की प्रतियोगिताओं में प्रथम तीन विजेता इन्हीं बच्चों में से निकले। गरीब बच्चों के लिए तो ये लाइब्रेरियां वरदान साबित हुई। वैल्डिंग का काम कर दैनिक खर्च चलाने वाले एक पिता के होनहार पुत्र दीपक ने तो वर्ष 2020 की 12वीं बोर्ड में विज्ञान संकाय में 82 प्रतिशत अंक प्राप्त किये। दीपक गरीबी के कारण ट्यूशन नहीं पढ़ कलक्टर पी सी किशन द्वारा खोली गई इन्हीं लाइब्रेरियों में पढ़ने आता था। ऐसे और भी सैंकडों बच्चों ने अच्छे अंको के साथ बोर्ड परीक्षाएं उतीर्ण की। स्कूल के साथ-साथ बच्चों ने जिला कलक्टर पी सी किशन द्वारा खोली गई इन लाइब्रेरियों को सबसे ज्यादा इसका श्रेय दिया।

लाइब्रेरियन कलक्टर बनी पहचान –

आईएएस पी सी किशन द्वारा व्यापक स्तर पर हनुमानगढ़ एवं श्रीगंगानगर कलक्टर रहते लाइब्रेरियां खोली गई। अपने इस काम की वजह से लाइब्रेरियन कलक्टर ही इनकी पहचान बन गई थी। इन्होंने हनुमानगढ़ में ऐसी 39 लाइब्रेरी तो श्रीगंगानगर में 15 लाइब्रेरियों की शुरूआत की।

अपने निवास पर झुग्गियों में रहने वाले बच्चों को करवाते हैं ट्यूशन –

आईएएस पी सी किशन अपने जयपुर मॉडल टाउन स्थित निवास पर झुग्गियों में रहने वाले बच्चों को ट्यूशन करवाते देखे जा सकते हैं।

मनरेगा एवं प्रधानमंत्री आवास योजना में राजस्थान को दिलवाया अव्वल स्थान –

आईएएस पी सी किशन ने मनरेगा आयुक्त रहते अपने अथक काम की बदौलत ही राजस्थान को पूरे देश में अव्वल स्थान दिलवाया। वितीय वर्ष 2020-21 में 1.10 करोड़ लोगों को रोजगार देकर इन्होंने यह कारनामा कर दिखाया। जिस पर मुख्यमंत्री ने खुले तौर पर इनकी प्रशंसा की। ग्रामीण विकास विभाग के कमिश्नर रहते ये प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के क्रियान्वयन की ऑल ओवर रैकिंग में राजस्थान को देशभर में पहले स्थान पर लेकर आये। योजना के तहत पात्र परिवारों को आवास के साथ एलपीजी कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, स्वच्छ पेयजल, श्रमिक कार्ड और अपना खेत अपना काम के अन्तर्गत भी लाभान्वित किया जाता है।

बता दें कि आईएएस पी सी किशन कलक्टर धौलपुर, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर समेत निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, कमिश्नर मनरेगा, सचिव ग्रामीण विकास जैसी बड़ी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाल अपनी काबिलियत का परिचय दे चुके है।

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