हुकूमत से सवाल करना टेढ़ी खीर होती है। लेकिन उनका क्या जो सीधे हुकूमत की आंख में आंख ड़ालकर सवाल कर बैठे? ऐसे बहादुरों को न सियासत से नजदीकी की चाहत होती है न उनकी नाराजगी का डर। बस वो तो वही कहते और करते है जो सही हो और आमजन के हित का हो। जी हां, ऐसा ही एक नाम है अधिवक्ता डॉ विभूति भूषण शर्मा। अपनी जनहित याचिकाओं के जरिए समाज को लाभान्वित करने वाले राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ विभूति भूषण शर्मा के जन्मदिवस पर द कलंदर पोस्ट से विशेष रिपोर्ट –
वो एक याचिका जिसने राजस्थान की सियासत में भूचाल ला दिया था –
राजस्थान की सियासत में वर्ष 2018 चुनावी गहमागहमी लिए था। उस वक्त प्रदेश की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे पूरे राज्यभर में मुख्यमंत्री गौरव यात्रा निकाल रही थी कि उस पर ग्रहण लग गया। राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई जिसमें हुकूमत पर आरोप लगाया गया की इस गौरव यात्रा में सरकारी खजाने से पैसा लगाया जा रहा है जबकि यह कोई सरकारी प्रयोजन नहीं है बल्कि एक पार्टी विशेष का प्रोग्राम है। इसलिए जनता के टैक्स के पैसे को यूं ही न खर्चा जाएं। यह जनहित याचिका लगाने वाले कोई और नहीं हाईकोर्ट अधिवक्ता डॉ विभूति भूषण शर्मा ही थे। इस पर कोर्ट ने संज्ञान लिया और सरकार से जवाब की मांग की। सरकार ने अपने तर्क पेश किए लेकिन कोर्ट को संतुष्ट नही कर पाई। अंततः हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अपने आदेश में कहा कि सीएम की गौरव यात्रा के दौरान कोई भी सरकारी कार्यक्रम साथ-साथ आयोजित नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने गौरव यात्रा के दौरान किसी भी तरह के सरकारी कार्यक्रम पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए।
जब बने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष –
अधिवक्ता डॉ विभूति भूषण शर्मा ने राजस्थान हाईकोर्ट के इतिहास में उस समय एक कीर्तिमान बनाया जब वर्ष 2012 में हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन चुनाव में इन्होंने सबसे कम उम्र के अध्यक्ष के रूप मंे जीत दर्ज की। इससे पहले ये बार एसोसिएशन के महासचिव के पद को भी सुसोभित कर चुके थे।
बचपन से ही होनहार तो विरासत में मिले हैं संस्कार –
27 जुलाई 1972 को प्रागपुरा में जन्में अधिवक्ता डॉ विभूति भूषण शर्मा बचपन से ही होनहार रहे हैं तो संस्कार इन्हें विरासत में ही मिले हैं। अपनी प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त करने वाले अधिवक्ता डॉ विभूति भूषण शर्मा ने उच्च शिक्षा में भी बड़ी ड़िग्रियां अपने नाम की हैं। इन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एमए, पीएचडी, एलएलबी एवं पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातक किया है। इन्हें उर्दू शायरी का बहुत अच्छा ज्ञान तो है ही ये लेखक एवं स्तंभकार भी है। राजनीतिक, सामाजिक, कानून एवं साहित्य विषयों पर इनके आलेख देशभर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इनके पिता राधेश्याम शर्मा राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे हैं। वे बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने रामचरितमानस, श्रीमदभगवतगीता, श्रीदुर्गासप्तशती, अष्टावक्रगीता, रामगीता और शिव जैसे कई धार्मिक गं्रथों का अनुवाद किया। ऐसे में इन्हें प्रतिभा के साथ संस्कार बचपन से ही मिले हैं।
सरल, सुलभ एवं सौम्य व्यवहार के हैं धनी –
अधिवक्ता डॉ विभूति भूषण शर्मा न सिर्फ नाम के ही बड़े हैं अपितु सरल, सुलभ एवं सौम्य व्यवहार के भी धनी हैं। नेकदिल इंसान इनकी बड़ी पहचान है।
वर्तमान में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर हाईकोर्ट में निभा रहे हैं एएजी की भूमिका –
अधिवक्ता डॉ विभूति भूषण शर्मा वर्तमान में प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर राजस्थान उच्च न्यायालय में बतौर अतिरिक्त महाधिवक्ता की भूमिका में सेवारत हैं।