Birthday Special: ऐसे IAS ऑफिसर जिनकी ‘निशुल्क दवा योजना’ पूरी दुनिया में बनी रोल मॉडल, तबादला हुआ तो खुद सड़कों पर उतर आई जनता

Birthday Special: डॉक्टर से बने IAS, ऐसे विरले ऑफिसर जिनका तबादला होने पर खुद सड़कों पर उतर जाती है जनता

IAS Dr. Samit Sharma Birthday: आज देश के सबसे काबिल ऑफिसर्स में से एक IAS डॉ. समित शर्मा का जन्मदिन है. चित्तौडगढ़ में कलेक्टर के रूप में उनकी पहली पोस्टिंग हो, एनएचएम में एमडी या जोधपुर में संभागीय आयुक्त हो, वह जहां भी गए अपनी कार्यशैली और मेहनत के दम पर लोगों के दिलों में एक गहरी छाप छाप छोड़ दी. उनकी लोकप्रियता ऐसी है कि जब भी एक जगह से दूसरी जगह उनका ट्रांसफर हुआ तो वहां के लोग उनका तबालदाल रुकवाने के लिए सड़कों पर आ गए. और ऐसा एक बार नहीं, बल्कि जहां-जहां उनकी पोस्टिंग हुई हर जगह यही नजारा देखने को मिला. बार-बार ऐसा संयोगवश नहीं हो सकता था, यकीनन यह जनता से सीधे जुड़ाव का परिणाम था.

21 फरवरी 1972 को जन्मे IAS समित शर्मा मूलरूप से राजस्थान के अजमेर के रहने वाले हैं. लोक सेवक बनने से पहले पांच साल तक समित शर्मा ने एक अस्पताल में डॉक्टर के रूप में सेवाएं दी. उन्होंने अपने पिता सुरेंद्र कुमार शर्मा के दोस्त डॉ. पीसी जैन की बेटी डॉ. सोनिका से शादी की जिनसे इनके दो बच्चे हैं. शादी के बाद समित शर्मा यूपीएससी की तैयारियों में जुटे और सिलेक्शन के बाद देश के एक लोकप्रिय आईएस ऑफिसर बनकर उभरे.

ऐसा रहा IAS डॉ. समित शर्मा का सर्विस रिकॉर्ड

समित शर्मा 2004 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. मसूरी, जयपुर व झालावाड़ में ट्रेनिंग पूरी होने के बाद समित शर्मा को सबसे पहले 5 अगस्त 2006 को जोधपुर में एसडीएम लगाया गया. फिर ये कोटा नगर निगम के सीईओ, अलवर व भिवाड़ी यूआईटी में सचिव, चित्तौड़गढ़ व नागौर में जिला कलेक्टर, एनआरएचएम मिशन डायरेक्टर, आरएमएससी एमडी लगाया गया. इनके अलावा वह जयपुर मेट्रो चेयरमैन, श्रम आयुक्त, जयपुर व जोधपुर संभागीय आयुक्त के पद पर सेवाएं दे चुके हैं. वर्तमान में वह सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूगर्भ जल विभाग में बतौर सचिव अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

तबादले हुए तो सड़कों पर उतर गई जनता

करीब 20 साल की अपनी सर्विस के दौरान डॉ. समित शर्मा ने विभिन्न जिलों के कलेक्टर और कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. इस दौरान वह आमजन के हमदर्द बनकर तुरंत गति से उनकी समस्याओं को हल करवाया. उनके कामकाज का ढंग ऐसा है कि वह चंद दिनों में ही जनता के दिल में जगह बना लेते है. यह वजह थी कि जब वह नागौर जिले में कलेक्टर रहे तब उन्हें जनता का कलेक्टर कहा जाने लगा. जब नागौर से उनका ट्रांसफर हुआ तो जनता व कर्माचीर नाराज होकर सड़कों पर आ गए. समित शर्मा को खुद जाकर जनता को समझाना पड़ा तब जाकर उन्होंने आंदोलन खत्म किया. इसी तरह जब चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर पद से उनका ट्रांसफर हुआ तो उसे निरस्त करने की मांग को लेकर 5 दिन तक जनता ने पूरे शहर को बंद रखा.

निशुल्क दवा योजना विश्वभर में बनी रोल मॉडल

साल 2008 में डॉ. समित शर्मा की कलेक्टर के रूप में पहली पोस्टिंग चित्तौड़गढ़ में हुई. यहां कलेक्टर रहते हुए उन्होंने सस्ती जेनेरिक दवाइयों के लिए अभियान चलाया. इस अभियान से चिकित्सा माफिया नाराज भी हुए लेकिन वह फिर भी डॉ. समित शर्मा का बाल भी बांका नहीं कर पाए. चित्तौड़गढ़ व फिर नागौर जिले में सफल हुई किफायती जेनेरिक दवा योजना से राजस्थान सरकार प्रभावित हुई. इसके बाद सरकार ने समित शर्मा को निशुल्क दवा योजना बनाने की अहम जिम्मेदारी सौंपी. अल्प समय में ही कार्ययोजना बनाकर 2 अक्टूबर 2011 को निशुल्क दवा योजना लागू कर दी गई. यह योजना इतने सुनियोजित और सुव्यवस्थित ढंग से लागू की गई कि सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में यह एक रोल मॉडल बनकर उभरी.

आमिर खान भी कर चुके हैं तारीफ

अशोक गहलोत सरकार की निशुल्क दवा योजना में आईएएस डॉ. समित शर्मा का मुख्य योगदान था. जब डॉ. शर्मा के इस काम की गूंज पूरे देश में सुनाई देने लगी तो अभिनेता आमिर खान ने वर्ष 2012 में उन्हें अपने टीवी शो सत्यमेव जयते कार्यक्रम में आमंत्रित किया. इस टीवी शो के माध्यम से निशुल्क दवा योजना के पीछे की कार्ययोजना और कहानी पूरे देश ने सुनी तो शर्मा एक चर्चित आईएएस में शुमार हो गए. साल 2010 में औषधियों को किफायती बनाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उन्हें सम्मानित किया था. इसके अलावा भी वह देश-विदेश में कई बड़े पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं.

मेडिसिन मैन के उपनाम से देश-विदेश में हुए लोकप्रिय

आईएएस डॉ. समित शर्मा के दिन-रात की मेहनत का ही नतीजा था कि भारत में पहली बार सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से किफायती जेनेरिक दवा योजना लाई गई. यह योजना इतनी सफल थी कि न केवल राजस्थान सरकार बल्कि देशभर के सभी राज्यों का ध्यान इस ओर गया. समित शर्मा के इस नवाचार को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट को आधार मानते हुए ही प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना और प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना लागू की गई. इसके साथ ही समित शर्मा द्वारा शुरू की गई निशुल्क दवा योजना को भी देशभर के कई राज्यों ने अपनाया. इस योगदान के लिए डॉ. समित शर्मा को देश-विदेश में मेडिसिन मैन के नाम से भी जाना जाता है.

नवाचार के साथ अनुशासन की मिसाल बने डॉ. शर्मा

डॉ. समित शर्मा नवाचार करने के साथ-साथ अनुशान की मिसाल हैं. जब से उन्होंने सिविल सेवा जॉइन की है तब से आज तक वह ड्यूटी समय में हमेशा अपना आईडी कार्ड पहने रखते हैं. जब वह महिला एवं बाल विकास विभाग में रहे तब उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों पर खेल-खेल में पढ़ाई मस्ती की पाठशाला कार्यक्रम शुरू किया. इसके जरिए 3-6 साल के बच्चों को प्रारंभिक बाल्यवस्था शिक्षा मिलने लगी. उनके इस नवाचार की यूनिसेफ ने भी तारीफ की थी. इसके साथ ही वह जहां भी पोस्टेड रहे वहां उन्होंने बायोमेट्रिक ऑनलाइन हाजिरी सिस्टम शुरू किया और इसका वह खुद भी अनुसरण करते थे. इसके अलावा एनएचएम के एमडी रहते हुए उन्होंने सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण करके उनकी गुणवत्ता सुधारी.

आमजन के लिए हमेशा खुले रखते हैं ऑफिस के दरवाजे

आईएएस समित शर्मा अपने तबादलों के साथ-साथ अनूठे फैसलों की वजह से भी चर्चा में रहते हैं. वह जनता के लिए हमेशा अपने दफ्तर के दरवाजे खुले रखते हैं. जयपुर में संभागीय आयुक्त रहने के दौरान समित शर्मा ने अपने कार्यालय के बाहर बोर्ड लगाकर मिलने का समय लिखा था-‘ कार्यालय समय में कभी भी’. बोर्ड की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी. लोगों ने समित शर्मा के इस फैसले की जमकर तारीफ भी की थी.

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