‘ख़ाकी’ सीरीज: IPS बीजू जॉर्ज जोसफ जिन्होंने मां को ICU में छोड़कर निभाया ख़ाकी का फर्ज

आज सिविल सेवा दिवस है. इस खास मौके पर हम आपके लिए ‘ख़ाकी’ सीरीज शुरू कर रहे हैं. इसमें हम आपको हर रोज एक ऐसे पुलिस ऑफिसर के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने प्रशासनिक कौशल और दमखम के बूते समाज में बड़ा बदलाव किया है एवं पुलिस के ध्येय वाक्य ‘आमजन में विश्वास अपराधियों में भय’ को जिंदा बनाए रखा है. ख़ाकी सीरीज में आज हम आपको बता रहे हैं जयपुर के पुलिस कमिश्नर और IPS अफसर बीजू जॉर्ज जोसफ के बारे में…

राजस्थान के सख्त एवं दबंग मिजाज के अफसर माने जाने वाले बीजू जॉर्ज जोसफ (Biju George Joseph) 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वर्तमान में वह जयपुर पुलिस कमिश्नर के महत्वपूर्ण पद पर तैनात हैं. उनकी गिनती राजस्थान के सबसे काबिल और ईमानदार पुलिस अफसरों में होती है. पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान सीएम अशोक गहलोत ने काफी सोच-विचार के बाद उन्हें जयपुर पुलिस कमिश्नर का चार्ज दिया था. जब प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बावजूद सीएम भजनलाल शर्मा ने भी उन्हें इस पद पर बने रहने दिया. ये उनकी काबिलियत ही है कि सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो उनके कामकाज और पोस्टिंग में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती. वे मार्च 2013 से अगस्त 2013 तक 5 माह तक जयपुर के कार्यवाहक कमिश्नर का भी कार्यभार संभाल चुके हैं.

थानों में जनसुनवाई की पहल कर चर्चाओं में छाए

जयपुर के पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने थानों में बढ़ते मामलों को कम करने के लिए एवं जनता का विश्वास पुलिस में कायम करने के लिए थानों में जाकर जनसुनवाई करने का भी अभियान चला रखा है. यह पहल विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुरू की गई है जो अपनी पीड़ा को पुलिस के उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंचा पाते. उनकी इस पहल को काफी सराहा गया है. वह अक्सर शहर के थानों में जन सुनवाई करने पहुंच जाते हैं. उनके इस कदम से थानों में पहले की तुलना में अपराध के दर्ज मामलों में काफी कमी देखी गई है.

मुख्यमंत्री के गृह जिले में भी रह चुके हैं तैनात

एडीजी बीजू जॉर्ज जोसफ पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर कमिश्नरेट के कमिश्नर रह चुके हैं. यही वजह है कि जयपुर पुलिस कमिश्नर की रेस में वह सबसे आगे थे. इसके अलावा एडीजी विजिलेंस रहते हुए उनके पास हर एक पुलिसकर्मियों का लेखा जोखा भी है. वो उनकी कार्यप्रणाली से भी वाकिफ हैं, जिससे वह जयपुर कमिश्नरेट को बखूबी चला रहे हैं.

बाहर से हैं सख्त लेकिन अंदर से नरम दिल

आईपीएस जोसफ बाहर से जितने सख्त दिखते हैं अंदर से उतने ही नेकदिल इंसान हैं. साल 2012 में वे जयपुर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात थे. एक दिन जेएलएन मार्ग पर सड़क हादसा हो गया. उसी समय जोसफ भी उधर से गुजर रहे थे. उन्होंने देखते ही तुरंत गाड़ी रुकवाई और घायल को ऑटो में लिटाकर अस्पताल भिजवाया. इस दौरान सड़क पर जाम की स्थिति पैदा हो गई. यह देखते ही उन्होंने खुद मोर्चा संभाल लिया और जाम में फंसे वाहनों को निकलवाने में जुट गए. एडिशनल पुलिस कमिश्नर को ट्रैफिक व्यवस्था संभालते देख वहां मौजूद लोग भी उनकी तारीफ करने से अपने आपको नहीं रोक पाए.

मां आईसीयू में थी तब निभा रहे थे खाकी का फर्ज

बीजू जॉर्ज जोसफ खाकी के फर्ज के प्रति कितने समर्पित है इस बात का अंदाजा एक उदाहरण से लगाया जा सकता है. दिसंबर 2023 में जब सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड हुआ था उस वक्त जोसफ की मां आईसीयू में भर्ती थी. उन्होंने मां की देखभाल के लिए बाकायदा पुलिस महानिदेशक से विशेष अनुमति ले रखी थी. लेकिन जब राजधानी जयपुर में गोगामेड़ी हत्याकांड हुआ तब वह सब कुछ छोड़कर खाकी का फर्ज निभाने के लिए तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए. उनकी इसी कर्तव्यनिष्ठता को देखकर हर कोई उनको सलाम करता है.

शांतिपूर्ण चुनाव करवाकर दिया अपनी काबिलियत का परिचय

चुनाव के समय जयपुर शहर में खासकर चारदीवारी के भीतर सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका रहती है. ऐसे में शहर में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना और वो भी चुनाव के समय काफी चुनौती भरा काम होता है. लेकिन इसके बावजूद चाहे दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव की बात हो या लोकसभा चुनाव 2024 की, आईपीएस जोसफ ने जयपुर शहर में शांतिपूर्ण मतदान करवाकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है.

धौलपुर एसपी रहते हुए डकैतों को सिखाया सबक

धौलपुर बीहड़ का वो एरिया है जहां डकैतों की तूती बोलती थी. लेकिन जब जोसफ को धौलपुर जिले का SP बनाया गया तो उन्होंने डकैतों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की. इसके बाद वो श्रीगंगानगर और अलवर जिले में भी SP रहे और अपने नवाचारों के चलते हर समय चर्चा में बने रहे. पुलिस सेवा में उत्कृष्ट काम करने के लिए उन्हें साल 2012 में पुलिस पदक और साल 2021 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी नवाजा जा चुका है.

अधिवक्ता आंदोलन के दौरान किया था डटकर मुकाबला

साल 2011 में बीएल सोनी जयपुर के पुलिस कमिश्नर थे. इस दौरान जोसफ एडिशनल कमिश्नर द्वितीय के पद पर तैनात थे. साल 2013 में जब अधिवक्ता आंदोलन के दौरान पुलिस प्रशासन और वकीलों के बीच टकराव हुआ तब राजस्थान सरकार ने वकीलों के दबाव के चलते पुलिस कमिश्नर बीएल सोनी को उनके पद से हटा दिया. बताया जाता है कि उस वक्त बीजू जॉर्ज जोसफ पुलिस फोर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए थे.

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