‘ख़ाकी’ सीरीज: कैलाश चंद्र बिश्नोई, ऐसे IPS ऑफिसर जिनके नाम से कांपते हैं अपराधी

‘द कलंदर पोस्ट’ अपनी खास सीरीज ‘ख़ाकी’ में हर रोज आपको प्रदेश के एक काबिल ऑफिसर की जिंदगी और उसकी कार्यशैली के बारे में बता रहा है. हम सबको यह जानना चाहिए कि एक पुलिस ऑफिसर कैसे हर कठिनाई और परिस्थिति में खाकी का फर्ज अदा करते हैं. जिन ऑफिसर्स के बारे में हम आपको बता रहे हैं उन्होंने अपने प्रशासनिक कौशल और दमखम के बूते समाज में एक बड़ी तब्दीली लाई है. इसके साथ ही उन्होंने पुलिस के ध्येय वाक्य ‘आमजन में विश्वास अपराधियों में भय’ को जिंदा बनाए रखा है. ख़ाकी सीरीज में आज हम आपको बता रहे हैं जयपुर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर और IPS अफसर कैलाश बिश्नोई के बारे में…

अपने सख्त मिजाज के लिए पहचाने जाने वाले कैलाश चंद्र बिश्नोई 2007 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वह वर्तमान में जयपुर महानगर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. जयपुर जैसे शहर में क्राइम कंट्रोल करने में उनकी अहम भूमिका रही है. उनकी गिनती राजस्थान के सबसे निष्पक्ष और काबिल ऑफिसर्स में की जाती है. प्रदेश में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार रही हो कभी उनके कामकाज और पोस्टिंग में छेड़छाड़ नहीं की गई. राजनेता भी उनकी कार्यशैली और दबंग मिजाज से वाकिफ हैं इसलिए उन पर कभी कोई अनावश्यक दबाव नहीं बना पाते.

विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 के समय जयपुर जैसे शहर में सांप्रदायिक तनाव बिगड़ने की प्रबल आशंका होती है. लेकिन दोनों ही चुनाव बहुत ही शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हुए. इसका श्रेय एडिशिनल पुलिस कमिश्नर बिश्नोई को भी दिया जाता है. उन्होंने जयपुर के कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ के साथ मिलकर शांतिपूर्ण मतदान करवाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से अपने काम को अंजाम दिया और महानगर में कोई भी तनाव पैदा नहीं होने दिया.

आमजन में बनाया पुलिस के प्रति विश्वास

जुलाई 2022 में आईपीएस कैलाश चंद्र बिश्नोई को जयपुर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर का चार्ज दिया गया था. जब उन्होंने पद संभाला उसके बाद से ही वह पुलिस के ध्येय वाक्य ‘आमजन में विश्वास अपराधियों में भय’ को सार्थक करने में जुट गए. पुलिस के प्रति आम जनता में विश्वास बनाने के लिए वह महानगर के विभिन्न थानों में जाकर नियमित रूप से जनसुनवाई भी करते हैं. यह पहल विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुरू की गई है जो अपनी पीड़ा को पुलिस के उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंचा पाते. इसका असर ये हुआ कि थानों में दर्ज होने वाले मामलों में भी कमी देखी गई है और लोगों की समस्याओं का तुरंत समाधान भी हो रहा है.

क्राइम कंट्रोल में महारत हासिल

जयपुर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर से पहले कैलाश बिश्नोई जोधपुर एसीबी में डीआईजी के पद पर तैनात थे. इस दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की जिससे रिश्वतरखोरों में खलबली मच गई थी. इसके साथ ही वह उदयपुर, भरतपुर, अलवर, हनुमानगढ़, झुंझुनूं, सिरोही जैसे जिलों में भी एसपी के पद पर तैनात रहे. इन जिलों में एसपी रहते हुए उन्होंने अपराध और तस्करी पर ऐसी नकेल कसी कि अपराधी पुलिस का नाम सुनते ही कांपने लगते थे. तस्करी और अपराध के लिए कुख्यात मेवात इलाके में भी उन्होंने क्राइम कंट्रोल करने में काफी अहम भूमिका निभाई थी.

हर सरकार में मिली तवज्जो

सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो लेकिन जब भी किसी जिले में अपराध बढ़ा तो कैलाश बिश्नोई को वहां एसपी बनाकर भेजा गया. बात चाहे भरतपुर की हो या अलवर की, जब वहां क्राइम कंट्रोल से बाहर हो गया तो कैलाश बिश्नोई को जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद चंद महीनों में ही उन्होंने वहां तस्करी और अपराध पर लगाम लगा दिया. इसलिए कहा जाता है कि कैलाश बिश्नोई जैसे काबिल और ईमानदार ऑफिसर्स की जरूरत सरकार को हमेशा रहती है. इसलिए चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या बीजेपी की उन्हें हर समय महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर तवज्जो दी गई.

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