हरियाणा में वही ‘रेवड़ी मॉडल’ लेकर आई कॉन्ग्रेस, जिससे हांफने लगी कर्नाटक और हिमाचल की अर्थव्यवस्था

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा और कॉन्ग्रेस ने कमर कस ली है. लगातार 10 साल राज करने के बावजूद बीजेपी यहां मजबूत मुकाबले में है और कांग्रेस पस्त होती हुई दिखाई दे रही है. हार के डर से कॉन्ग्रेस ने हरियाणा की जनता से कई ‘गारंटी’ वादे भी किए हैं. कॉन्ग्रेस यही प्रयोग हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कर चुकी है और उसे चुनाव में सफलता मिली थी. लेकिन चुनावों के कुछ ही महीने के बाद विकास के पथ पर आगे बढ़ रही कर्नाटक की अर्थव्यवस्था हांफने लगी. वहीं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री तो खुद ही आर्थिक बदहाली का रोना रोने लग गए. लेकिन कॉन्ग्रेस ने इससे कोई सबक नहीं लिया और हरियाणा के लिए भी वैसा ही मॉडल पेश कर दिया.

जानबूझकर देश को बर्बाद करने पर तुली है कांग्रेस

हरियाणा में कॉन्ग्रेस ने जो वादे किए हैं, उनका अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ेगा और कांग्रेस पार्टी भी इस बात को बखूबी जानती है. वह ऐसे ही वादे कई अन्य राज्यों में भी कर चुकी है जिससे उन राज्यों की आर्थिक स्थिति बदहाल हो चुकी है. पुरानी पेंशन की बात की जाए तो इसे कॉन्ग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में लागू किया है. इसकी वजह से सितम्बर में यह हाल यह हो गया कि सुक्खू सरकार कर्मचारियों को तनख्वाह तक नहीं दे पाई.

मुफ्त बिजली का वादा हिमाचल में हुआ फेल

अगर मुफ्त बिजली का वादा देखा जाए तो इसमें भी कॉन्ग्रेस हिमाचल में फेल हो गई. उसने यहाँ भी 300 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया था लेकिन उसे पूरा नहीं कर पाई. इसके उलट उसने 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली दिए जाने वाली योजना भी बंद कर दी. पंजाब में आम आदमी पार्टी ने भी मुफ्त बिजली योजना चालू की. इसका असर ये हुआ कि पंजाब आज देश में सबसे अधिक कर्ज वाले राज्यों में से एक है.

कर्नाटक में भी कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था की हालत खराब की

कर्नाटक में कांग्रेस ने सरकार बनते ही पाँच गारंटियों को लागू करने की कवायद चालू कर दी. लेकिन उसके इस चुनावी वादे का बोझ राज्य के दलितों और जनजातियों पर आ गया. कॉन्ग्रेस सरकार ने 2023-24 और 2024-25 में दलितों के लिए दिए जाने वाले विकास फंड में से पैसा अपनी गारंटी पूरी करने को निकाल लिया. 2024-25 में उसने दलितों-जनजातियों पर खर्च होने वाले ₹14000 करोड़ गारंटियों की तरफ मोड़ दिए.

हरियाणा में बड़े बड़े वादे करने वाली कॉन्ग्रेस ने कर्नाटक में अपनी इन्हीं गारंटियो को पूरा करने के चक्कर में साफ़ कह दिया था कि अब विधायक कोई विकास कार्य ना माँगे. इसके लिए फंड ना होने की बात कही गई थी. कर्नाटक में गारंटियों का खर्चा 2024-25 में ₹50000 करोड़ के पार पहुँच गया है. वहीं हिमाचल में आधे से अधिक गारंटियाँ लागू ही नहीं हुई और जो हुईं भी उनके कारण राज्य का भट्ठा बैठ गया और वह आर्थिक संकट में है. कांग्रेस के इस बेकार के मॉडल से पूरे देश को सबक लेने की जरूरत है.

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