मुंशी राम अमृतसर में एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते थे. इससे उन्हें 8 बच्चों के बड़े परिवार का भरण-पोषण करने में कठिनाई होती थी. यह बात उनके बेटे बलदेव राज महाजन को बखूबी मालूम थी और निरंतर परेशान कर ही थी. इससे उनका पढ़ाई को लेकर संकल्प और मजबूत हो गया. यहां तक कि उन्होंने अपनी स्कूल की फीस भरने के लिए बहुत छोटी उम्र में 4 साल तक फैक्ट्री में काम किया. लेकिन किसे पता था कि किसी दिन यह लड़का हरियाणा के सबसे बड़े कानूनी अधिकारी के पद पर पहुंचकर अपने परिवार का नाम रौशन करेगा. बलदेव राज महाजन का जन्म 22 अक्टूबर 1953 को अमृतसर में हुआ था. इस खास मौके पर द कलंदर पोस्ट की खास सीरीज ‘अधिवक्ता’ में आज हम आपको बताएंगे कि उन्होंने कैसे बहुत कठिन हालातों से निकलकर वकालत की दुनिया में अपना नाम स्थापित किया और वर्ष 2014 में हरियाणा सरकार के एडवोकेट जनरल बने और तब से लेकर अब तक इसी पद पर बने हुए हैं.
दिनभर क्लर्क की नौकरी करते, शाम को कॉलेज में करते पढ़ाई
स्कूल की पढ़ाई पूरी होते ही साल 1971 में बलदेव राज महाजन घर छोड़कर चंडीगढ़ में जा बसे. उन्हें अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के लिए पैसों की जरूरत थी. इसलिए 18 वर्षीय महाजन ने वकील डीवी सहगल से कुछ काम मांगा ताकि वह आगे की पढ़ाई कर सकें. सहगल ने उन्हें चंडीगढ़ में अपने नए कार्यालय में क्लर्क बना दिया. 1971 में शहर में आकर महाजन ने एक दशक से भी ज़्यादा समय तक क्लर्क या मुंशी के तौर पर काम किया. उस समय महाजन को इस काम के बदले 250 रुपये महीना मिलता था जिसे वह उस समय किसी भी मुंशी के लिए “खूबसूरत” रकम बताते हैं. दिनभर काम करने के बाद वह शाम को डीएवी कॉलेज में कला स्नातक की पढ़ाई करने जाते थे. इस तरह से उनका स्कूली और कॉलेज जीवन काफी संघर्षों से घिरा हुआ था.

पोस्ट ग्रेजुएशन में अच्छे अंक हासिल करने के बावजूद उन्हें पंजाब विश्वविद्यालय के लॉ डिग्री कोर्स में दाखिला नहीं मिला. आखिरकार एडवोकेट सहगल की मदद से उन्हें राजस्थान की बीकानेर यूनिवर्सिटी में दाखिला मिल गया और यहां से उनके लिए वकालत की दुनिया में द्वार खुल गए. फिर मेहनत करते हुए वह हरियाणा सरकार के सबसे बड़े कानून अधिकारी के पद एडवोकेट जनरल तक पहुंचे हैं.
RSS की पाठशाला में सीखा सादगी का पाठ
सिविल कानून के विशेषज्ञ माने जाने वाले महाजन लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बीजेपी की अधिवक्ता परिषद से जुड़े रहे हैं. आरएसएस से जुड़े होने पर वह काफी गर्व महसूस करते हैं. वे बताते हैं कि आरएसएस ही है जिसने मुझे सादगी का जीवन जीने में सक्षम बनाया. महाजन को हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष द्वारा वर्ष 2015-16 के लिए विधानसभा की सबार्डिनेट लेजिलेशन कमेटी का सदस्य बनाया गया था. वह 1992 में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद (आरएसएस का एक अधिवक्ता संगठन) के गठन के बाद से ही इससे जुड़ गए. उन्होंने जिला स्तर पर कोषाध्यक्ष और सचिव के रूप में काम किया और फिर राज्य सचिव बने. इसके बाद उन्होंने पंजाब के अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली. फिर उन्होंने राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय कार्यालय अध्यक्ष, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और फिर अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक का सफर तय किया.

मनोहरलाल खट्टर के नजदीकी लोगों में हैं शुमार
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 29 मई 2014 को उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया और फिर 10 नवंबर 2014 को पंजाब का मूल निवासी होने के बावजूद उन्हें हरियाणा सरकार का एडवोकेट जनरल बनाया गया. इसके बाद उन्होंने परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. हरियाणा के 21वें महाधिवक्ता बनने की रेस में कई और बड़े नाम शामिल थे लेकिन आरएसएस से जुड़े होने, तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर के करीबी होने और उनके राष्ट्रवादी व्यक्तित्व ने इस पद पर पहुंचने के मार्ग को आसान बना दिया.

जब हरियाणा में किसी महाधिवक्ता को मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा
एडवोकेट जनरल के पद पर विराजमान व्यक्ति राज्य सरकार का लीगल हेड होता है और उसे कानूनी मामलों में राय देता है. लेकिन बलदेव राज महाजन की काबिलियत को देखते हुए साल 2014 में हरियाणा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी एडवोकेट जनरल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया. उन्हें किसी कैबिनेट मंत्री की तरह सभी तरह की पावर और सुविधाएं दी गईं.

जरूरत पड़ी तो बार-एसोसिएशन के ही खिलाफ उतर गए
फरवरी 2024 में किसान आंदोलन के समय एक युवा किसान की मौत होने पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने वकीलों के काम बंद करने का ऐलान कर दिया. ऐसा नहीं करने वाले वकीलों को 10 हजार रुपये के जुर्माने की भी चेतावनी दी. हरियाणा के महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन इस अनैतिक फैसले के खिलाफ उतर गए और उन्होंने ऐसा आदेश जारी करने वाले बार एसोसिएशन के अधिकारियों को कोर्ट में घसीटने तक की धमकी दे डाली. बलदेव राज महाजन ने उस समय कहा था कि कानूनी बिरादरी को किसान आंदोलन से कोई सरोकार नहीं है. एचसीबीए की कार्यकारी समिति, जनरल हाउस को विश्वास में लिए बिना, ऐसा कोई आह्वान नहीं कर सकती. यदि बार एसोसिएशन या कानूनी बिरादरी के किसी सदस्य के साथ कोई घटना हुई है तो बार एसोसिएशन को चिंतित होना चाहिए.