जयपुर के पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ की गिनती राजस्थान के तेज-तर्रार, काबिल और पुलिस महकमे में बड़े बदलाव करने वाले ऑफिसर्स में होती है. उन्होंने कई बड़े अभियान चलाकर पुलिस सिस्टम में आमूलचूल बदलाव किए हैं जिससे पुलिस के ध्येय वाक्य ‘आमजन में विश्वास अपराधियों में भय’ में लोगों का भरोसा कायम है. 2 अक्टूबर 1967 को जन्मे आईपीएस ऑफिसर बीजू जॉर्ज जोसफ का आज जन्मदिन है और इस खास मौके पर हम द कलंदर पोस्ट की ‘खाकी’ सीरीज में बता रहे हैं कि कैसे एक पुलिस अधिकारी अपने प्रशासनिक कौशल से जनता में भरोसा और अपराधियों में डर पैदा करने में कामयाब रहा है.
1995 बैच के आईपीएस ऑफिसर बीजू जॉर्ज जोसफ कहते हैं कि पुलिस के प्रति लोगों की सोच बदलना बहुत जरूरी है. अपराध और अपराधी आपके क्षेत्र में आने और अपराध करने से पहले दस बार सोचें. अपराध होना बड़ी बात नहीं हैं लेकिन अपराध होने के बाद अपराधी नहीं पकड़ा जाए तो यह पुलिस के लिए बहुत बड़े शर्म की बात है. उनकी इसी सोच के कारण वह जहां भी पोस्टेड होते हैं वहां बहुत ही जल्दी आमजन के दिलों में जगह बना लेते हैं.

सरकार किसी की भी हो, इनकी काबिलियत पर भरोसा रहा कायम
राजस्थान के सख्त एवं दबंग मिजाज के अफसर बीजू जॉर्ज जोसफ (Biju George Joseph) को पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान सीएम अशोक गहलोत ने काफी सोच-विचार के बाद जयपुर पुलिस कमिश्नर का चार्ज दिया था. प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बावजूद सीएम भजनलाल शर्मा ने भी उन्हें इस पद पर बने रहने दिया. ये उनकी काबिलियत ही है कि सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो उनके कामकाज और पोस्टिंग में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती. वे मार्च 2013 से अगस्त 2013 तक 5 माह तक जयपुर के कार्यवाहक कमिश्नर का भी कार्यभार संभाल चुके हैं.
थानों में जनसुनवाई की पहल कर चर्चाओं में जीता आमजन का दिल
जयपुर के पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने थानों में बढ़ते मामलों को कम करने के लिए एवं जनता का विश्वास पुलिस में कायम करने के लिए थानों में जाकर जनसुनवाई करने का भी अभियान चला रखा है. यह पहल विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुरू की गई है जो अपनी पीड़ा को पुलिस के उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंचा पाते. उनकी इस पहल को काफी सराहा गया है. वह अक्सर शहर के थानों में जन सुनवाई करने पहुंच जाते हैं. उनके इस कदम से थानों में पहले की तुलना में अपराध के दर्ज मामलों में काफी कमी देखी गई है. थानों में पुलिस की कार्यशैली में पारदर्शिता लाने की उनकी कोशिशें और करप्शन को ख़त्म करने की दिशा में किए गए प्रयास भी काफ़ी हद तक कारगर रहे हैं.
पूर्व CM के गृह जिले में भी रह चुके हैं तैनात
एडीजी बीजू जॉर्ज जोसफ पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर कमिश्नरेट के कमिश्नर रह चुके हैं. यही वजह है कि जयपुर पुलिस कमिश्नर की रेस में वह सबसे आगे थे. इसके अलावा एडीजी विजिलेंस रहते हुए उनके पास हर एक पुलिसकर्मियों का लेखा जोखा भी है. वो उनकी कार्यप्रणाली से भी वाकिफ हैं, जिससे वह जयपुर कमिश्नरेट को बखूबी चला रहे हैं.

बाहर से सख्त लेकिन अंदर से नरम दिल
आईपीएस जोसफ बाहर से जितने सख्त दिखते हैं अंदर से उतने ही नेकदिल इंसान हैं. साल 2012 में वे जयपुर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात थे. एक दिन जेएलएन मार्ग पर सड़क हादसा हो गया. उसी समय जोसफ भी उधर से गुजर रहे थे. उन्होंने देखते ही तुरंत गाड़ी रुकवाई और घायल को ऑटो में लिटाकर अस्पताल भिजवाया. इस दौरान सड़क पर जाम की स्थिति पैदा हो गई. यह देखते ही उन्होंने खुद मोर्चा संभाल लिया और जाम में फंसे वाहनों को निकलवाने में जुट गए. एडिशनल पुलिस कमिश्नर को ट्रैफिक व्यवस्था संभालते देख वहां मौजूद लोग भी उनकी तारीफ करने से अपने आपको नहीं रोक पाए.
मां आईसीयू में थी तब निभाते रहे खाकी का फर्ज
बीजू जॉर्ज जोसफ खाकी के फर्ज के प्रति कितने समर्पित है इस बात का अंदाजा एक उदाहरण से लगाया जा सकता है. दिसंबर 2023 में जब सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड हुआ था उस वक्त जोसफ की मां आईसीयू में भर्ती थी. उन्होंने मां की देखभाल के लिए बाकायदा पुलिस महानिदेशक से विशेष अनुमति ले रखी थी. लेकिन जब राजधानी जयपुर में गोगामेड़ी हत्याकांड हुआ तब वह सब कुछ छोड़कर खाकी का फर्ज निभाने के लिए तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए. उनकी इसी कर्तव्यनिष्ठता को देखकर हर कोई उनको सलाम करता है.

डकैतों को उन्हीं के इलाके में घुसकर सिखाया सबक
IPS अधिकारी बीजू जॉर्ज जोसफ राजस्थान में कई बड़े और महत्वपूर्ण ऑपरेशन को लीड करने वाले अधिकारी रहे हैं . धौलपुर बीहड़ का वो एरिया है जहां डकैतों की तूती बोलती थी. लेकिन जब जोसफ को धौलपुर जिले का SP बनाया गया तो उन्होंने डकैतों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की. इसके बाद वो श्रीगंगानगर और अलवर जिले में भी SP रहे और अपने नवाचारों के चलते हर समय चर्चा में बने रहे. पुलिस सेवा में उत्कृष्ट काम करने के लिए उन्हें साल 2012 में पुलिस पदक और साल 2021 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी नवाजा जा चुका है.
जयपुर चारदीवारी में शांतिपूर्ण मतदान करवाकर दिखाई काबिलियत
चुनाव के समय जयपुर शहर में खासकर चारदीवारी के भीतर सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका रहती है. ऐसे में शहर में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना और वो भी चुनाव के समय काफी चुनौती भरा काम होता है. लेकिन इसके बावजूद चाहे दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव की बात हो या लोकसभा चुनाव 2024 की, आईपीएस जोसफ ने जयपुर शहर में शांतिपूर्ण मतदान करवाकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है.

अधिवक्ता आंदोलन के दौरान साथी पुलिसकर्मियों के साथ खड़े रहे
साल 2011 में बीएल सोनी जयपुर के पुलिस कमिश्नर थे. इस दौरान जोसफ एडिशनल कमिश्नर द्वितीय के पद पर तैनात थे. साल 2013 में जब अधिवक्ता आंदोलन के दौरान पुलिस प्रशासन और वकीलों के बीच टकराव हुआ तब राजस्थान सरकार ने वकीलों के दबाव के चलते पुलिस कमिश्नर बीएल सोनी को उनके पद से हटा दिया. बताया जाता है कि उस वक्त बीजू जॉर्ज जोसफ पुलिस फोर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए थे.

जयपुर कमिश्नर से पहले संभाल चुके हैं ये महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां
इससे पहले जोसफ अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस सतर्कता, राजस्थान जयपुर के पद पर पदस्थापित थे. बीजू जॉर्ज जोसफ धौलपुर, गंगानगर, सीबीआई बेंगलुरु, अलवर एवं जयपुर (पूर्व) में पुलिस अधीक्षक पद पर रहे हैं. इसके अलावा डीआईजी सीआईडी काइम एवं अतिरिक्त पुलिस आयुक्त द्वितीय, पुलिस आयुक्तालय जयपुर एवं पुलिस आयुक्त जोधपुर व भरतपुर व अजमेर रेंज में पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक एसओजी, महानिरीक्षक पुलिस मुख्यालय राजस्थान एवं अतिरिकत महानिदेशक (भर्ती एवं पदोन्नति बोर्ड) राजस्थान जयपुर के पद पर अपनी सेवाएं दी हैं.