मूलतः महाराष्ट्र के मुम्बई शहर के बोईसर कस्बे में रहने वाले वरूण बर्णवाल के सिर से दसवीं की पढ़ाई के दौरान ही पिता का साया उठ जाता है। आर्थिक तंगहाली एवं परिवार में बड़ा लड़का होने के कारण वरूण अपनी पढ़ाई के साथ पिता की छोटी सी साईकिल की दुकान भी चलाते हैं। स्कूल टाॅप करते हैं। पुणे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई में गोल्ड मेडल पाते हैं। फिर अच्छे पैकेज की नौकरी छोड़ महज 24 वर्ष की उम्र में पहले ही प्रयास में वो भी 32 वीं रैंक के साथ IAS बनते हैं।
लड़का जो अपनी जिद से बना आईएएस
