Rajasthan Women MLAs: राजस्थान में हाल ही में 199 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए. इसमें 20 महिलाओं ने जीत का परचम लहराया. ये ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने समाज की परंपराओं की बेड़ियां तोड़कर सियासत में अपना मुकाम बनाया है. अब ये विधानसभा में बैठकर अपने बोल्ड डिसीजन से समाज को एक नई दिशा देती नजर आएंगी. रूढ़िवादी सोच के चलते जिन महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता अब वही सियासत में राज करेंगी. उनके हर एक फैसले पर समाज की नजर होंगी. इन्होंने दिखा दिया है कि बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं. आज हम ‘द कलंदर पोस्ट’ की खास सीरीज ‘तोड़ो बेड़ियां कम नहीं बेटियां’ के तहत राजस्थान की 20 महिला विधायकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने चुनाव जीतकर समाज की रूढ़ियों को टूटने पर मजबूर कर दिया.
1. वसुंधरा राजे
बीजेपी की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे कांग्रेस के रामलाल को हराकर इस बार पांचवीं बार विधानसभा पहुंची हैं. वह 2003 से लगातार बिना हारे झालरापाटन सीट से चुनाव जीत रही हैं. दो बार सूबे की सीएम रहीं वसुंधरा राजे देशभर की ताकतवर शक्सियतों में शुमार की जाती हैं. उन्होंने दो बार सीएम रहते हुए राजस्थान के विकास के लिए भरपूर काम किया. वह बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. भजनलाल शर्मा के सीएम बनने के बाद अब माना जा रहा है कि वह राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अहम भूमिका निभाती हुई नजर आएंगी.
2. दीया कुमारी
जयपुर राजघराने की प्रिंसेज दीया कुमारी कांग्रेस के सीताराम अग्रवाल को 71368 वोटों से मात देकर विधानसभा पहुंची हैं. वह जयपुर की विद्याधर नगर सीट से विधायक चुनी गई हैं. दीया कुमारी स्वर्गीय ब्रिगेडियर भवानी सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की बेटी हैं. बीजेपी ने उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाकर सरकार में मुख्य भूमिका में रखा है. अब राजस्थान की सियासत में वह महिलाओं के हक और अधिकारों के लिए लड़ती हुई नजर आएंगी. 10 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाली दीया कुमारी ने सबसे पहले 2013 में सवाई माधोपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा था. पहली ही बार में जीतकर वह विधानसभा पहुंची और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2019 में उन्होंने राजसमंद सीट से लोकसभा का चुनाव भी जीता था.
3. सिद्धि कमारी
बीकानेर जिले की बीकानेर पूर्व सीट से जीती बीजेपी की सिद्धि कुमारी राजस्थान की सबसे अमीर विधायक हैं. इनकी कुल संपत्ति 102 करोड़ से अधिक है. सिद्धि कुमारी बीकानेर राजघराने से ताल्लुक रखती हैं. वह 2008 में भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची थी. सिद्धि कुमारी हमेशा बीकानेर की जनता की सेवा के लिए आगे खड़ी नजर आई हैं.
4. नौक्षम चौधरी
नौक्षम चौधरी भरतपुर के कामां से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीती हैं. हालांकि वह रहने वाली हरियाणा के पुन्हाना के पैमा खेड़ा गांव की हैं. इन्होंने दिल्ली के मिरांडा कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की. फिर तीन साल तक लंदन में रही. मिरांडा कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने राजनीति की ABCD सीखी. नौक्षम ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें एक कंपनी में एक करोड़ से ज्यादा का सलाना पैकेज मिला था. हालांकि उन्होंने नौकरी छोड़कर सियासत में उतरना पसंद किया. नौक्षम पब्लिक रिलेशन और कम्यूनिकेशन एक्सपर्ट हैं और इन्हें 8 से ज्यादा भाषाओं का ज्ञान है.
5. प्रियंका चौधरी
प्रियंका चौधरी बाड़मेर के दिग्गज जाट नेता पूर्व विधायक एवं मंत्री गंगाराम चौधरी की पोती हैं. प्रियंका ने बाड़मेर विधानसभा सीट से 2013 में भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ा था. इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी से टिकट नहीं मिल पाया. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और निर्दलीय ही ताल ठोक दी. प्रियंका चौधरी के समर्थन में जनता उमड़ पड़ी. उन्हें जनता से इतना प्यार मिला कि वह चुनाव जीतने में सफल हो गईं. वह उन चुनिंदा विधायकों में शामिल हो गई जो बिना किसी पार्टी के अपने दम पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.
6. दीप्ति माहेश्वरी
दीप्ति माहेश्वरी बीजेपी के टिकट पर राजसमंद सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची हैं. वह पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी की बेटी हैं. अपने मां के निधन के बाद किरण माहेश्वरी राजसमंद की राजनीति में सक्रिय हो गईं. मुंबई से एमबीए करने वाली दीप्ति माहेश्वरी अब धीरे-धीरे सियासत में अपने कदम आगे बढ़ा रही हैं. वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह चंद वर्षों में ही राजस्थान बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शुमार हो गई हैं.
7. कल्पना देवी
कल्पना देवी कोटा राजपरिवार की बहू हैं. बीजेपी ने साल 2018 में कोटा की लाडपुरा सीट पर कल्पना देवी को टिकट दिया था और वह जीतने में कामयाब हो गईं. पार्टी ने एक बार फिर साल 2023 के विधानसभा चुनाव में लाडपुरा सीट से कोटा राज घराने की बहू कल्पना देवी को चुनावी मैदान में उतारा. इसके लिए बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक भवानी सिंह राजावत का टिकट काटकर कल्पना देवी पर भरोसा जताया. कल्पना देवी ने इस भरोसे को कायम रखा और फिर से चुनाव जीत गईं. अब वह विधानसभा में महिला हकों के लिए लड़ती हुई नजर आएंगी.
8. अनीता भदेल
बीजेपी नेता अनीता भदेल अजेमर दक्षिण से चौथी बार विधायक बनी हैं. वह वसुंधरा राजे की सरकार में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री भी रह चुकी हैं. उन्हें पिछली वसुंधरा सरकार में बेस्ट विधायक का अवॉर्ड भी मिला था. अनीता भदेल का परिवार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा रहा है.
9. मंजू बाघमार
मंजू बाघमार नागौर जिले की जायल सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीती हैं. उन्हें साल 2013 में भी बीजेपी ने टिकट दिया था. उस समय भी वह सीट निकालने में कामयाब हो गई थीं. अब एक बार फिर मंजू बाघमार विधानसभा में पहुंच गई है. इसके अलावा वह अनूसूचित जाति मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुकी हैं. महिला हितों के लिए वह हमेशा आगे खड़ी रही हैं. भजनलाल सरकार में मंजू बाघमार को राज्यमंत्री बनाकर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. अब आने वाले 5 साल में वह अपने बोल्ड फैसलों से समाज की तस्वीर बदलने का काम करेंगी.
10. शोभा चौहान
पाली जिले की सोजत विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर इस बार शोभा चौहान ने जीत दर्ज की है. उन्होंने कांग्रेस के निरंजन आर्य को हराया है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी शोभा चौहान ने कांग्रेस के उम्मीदवार को 32 हजार से भी अधिक मतों से हराया था. वह अब राजस्थान की उन चुनिंदा महिलाओं में शामिल हो गई हैं जो अब 5 साल तक विधानसभा में बैठकर जनता के हकों के लिए आवाज उठाएंगी.
11. शिमला नायक
श्रीगंगानगर जिले की अनूपगढ़ सीट से इस बार कांग्रेस के टिकट पर शिमला नायक ने जीत दर्ज की है. वह बीजेपी की संतोष बावरी को हराकर विधानसभा पहुंची हैं. शिमला नायक प्रदेश कांग्रेस कमेटी की महासचिव भी हैं. वह वकालत छोड़कर राजनीति में आई हैं. साल 2013 में उन्होंने जमींदारा पार्टी से चुनाव लड़ा और हार गईं. फिर उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली लेकिन टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने 2018 में निर्दलीय ताल ठोंक दी और तीसरे नंबर पर रही. लेकिन शिमला नायक हार मानने वाली महिलाओं में से नहीं हैं. वह एक बार फिर 2023 में चुनाव में उतरी और विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहीं.
12. सुशीला डूडी
कांग्रेस नेता सुशीला डूडी ने नोखा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता है. वह दिग्गज जाट नेता रामेश्वर डूडी की पत्नी हैं. यह उनका पहला चुनाव था और पहली ही बार में जीत दर्ज करके वह विधानसभा पहुंच गईं. गौरतलब है कि नोखा के पूर्व एमएलए रामेश्वर डूडी ब्रेन हेमरेज के चलते अस्पताल में भर्ती हैं. इसलिए अपने पति की विरासत को संभालने के लिए सुशीला डूडी आगे आईं और चुनाव जीतकर अपना लोहा मनवाया.
13. रीटा चौधरी
झुंझुनूं जिले की मंडावा सीट पर कांग्रेस नेता रीटा चौधरी ने जीत दर्ज की है. वह मंडावा के कद्दावर नेता रामनारायण चौधरी की बेटी हैं. रीटा चौधरी 2008 में यहां से पहली बार विधायक चुनी गई थीं. हालांकि रीटा चौधरी को 2013 और 2018 में हार का सामना करना पड़ा. लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में रीटा चौधरी ने बीजेपी के नरेंद्र कुमार को हराकर अपनी खोई हुई साख वापस पा ली.
14. डॉ. शिखा मील बराला
आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. शिखा मील बराला जयपुर जिले की चौमू सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची हैं. उन्होंने बीजेपी के रामलाल शर्मा को हराकर जीत का परचम लहराया है. डॉ. शिखा सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती हैं. वह अपने आईवीएफ ट्रीटमेंट की जानकारी, अपने ट्रैवलिंग एक्सपीरियंस और अन्य फोटोज अक्सर सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं.
15. शोभारानी कुशवाहा
धौलपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर शोभारानी कुशवाह ने जीत दर्ज की है. उनके पति बीएल कुशवाह एक युवा उद्योगपति हैं. वह 2013 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने थे. इसके बाद बीएल कुशवाह हत्या के मामले में जेल चले गए. साल 2017 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने बीएल कुशवाह की पत्नी शोभारानी कुशवाह को टिकट दिया जिसमें वह जीत गईं. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के टिकट पर शोभारानी कुशवाहा जीत गईं. हालांकि बाद में उन्होंने गहलोत सरकार को बचाने में अपनी भूमिका निभाई जिसके बाद पार्टी ने उनको निकाल दिया. 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया जिसके बाद वह एक बार फिर विधानसभा में पहुंची हैं.
16. अनीता जाटव
करौली जिले की हिंडौन सीट पर कांग्रेस की अनीता जाटव ने जीत का परचम फहराया था. उन्होंने बीजेपी के राजकुमार जाटव को हराकर यह चुनाव जीता है. अनीता जाटव राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की सचिव है. कांग्रेस पार्टी ने इस बार दो दशक से राजनीति की धुरी रहे भरोसी जाटव का टिकट काटकर उन्हें चुनावी मैदान में उतारा था. अनीता ने पार्टी का भरोसा कायम रखते हुए विधानसभा पहुंचने में सफलता पाई है.
17. इंदिरा मीणा
सवाई माधोपुर जिले की बामनवास सीट से कांग्रेस के टिकट पर इंदिरा मीणा विजयी हुई हैं. 2018 में भी वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती थी. कांग्रेस ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया जिसे बनाए रखने में वह सफल हो गई. अब एक बार फिर विधानसभा पहुंचकर इंदिरा मीणा ने अपना दबदबा कायम रखा है.
18. गीता बरवड़
भोपालगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस ने गीता बरवड़ को प्रत्याशी बनाया और वह जीतने में कामयाब रही. गीता बरवड़ तीन बार के विधायक और पूर्व राजस्व मंत्री नरपत बरवड़ की बेटी हैं. उनकी मां हीरादेवी ने 2008 में भोपालगढ़ से विधानसभा का चुनाव लड़ा था जिसमें वो भाजपा की कमसा मेघवाल से हार गई थीं. गीता बरवड़ ने दो बार जिला परिषद का चुनाव जीता है. इसके साथ जिला देहात कांग्रेस कमेटी में सदस्य पद पर भी रह चुकी हैं.
19. रमिला खड़िया
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बांसवाड़ा की कुशलगढ़ सीट पर रमिला खड़िया का कांग्रेस ने टिकट काट दिया गया था. इसके चलते रमिला खड़िया ने कुशलगढ़ से निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमें खड़िया निर्दलीय विधायक के रुप में चुनी गई. सचिन पायलट की बगावत के समय रमिला खड़िया ने अशोक गहलोत की सरकार बचाने में अहम भूमिका निभाई थी. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 2023 विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट दिया जिसमें वह जीतने में एक बार फिर कामयाब हो गई.
20. रितु बनावत
भरतपुर की बयाना सीट पर बीजेपी ने रितु बनावत को जब टिकट नहीं दिया तो वह बागी होकर निर्दलीय ही मैदान में उतर गईं. चुनाव जीता भी और निर्दलीय विधानसभा में पहुंची. हालांकि रितु बनावत का कहना है कि उनका समर्थन बीजेपी को रहेगा. रितु बनावत उस समय चर्चा में आई जब फूल मालाओं से सजे ट्रैक्टर को चलाती हुई वह अपने समर्थकों के साथ विधानसभा पहुंची. रितु का कहना है कि वह विधानसभा में किसानों के मुद्दे उठाती रहेंगी.