केजरीवाल की पार्टी के 20 विधायकों को लाभ का पद मामले में एक साथ करवा दिया था अयोग्य घोषित.
05 जुलाई 1987 को जन्में सुप्रीम कोर्ट के युवा अधिवक्ता (AOR) प्रशांत पटेल का आज जन्मदिन है. एडवोकेट प्रशांत पटेल एक ऐसा नाम है जिसे आम आदमी पार्टी कभी नहीं भूल सकेगी. वकालत की दुनिया में इस युवा अधिवक्ता ने उस समय तहलका मचा दिया था जब इनके द्वारा 19 जून 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति के समक्ष याचिका दायर कर आम आदमी पार्टी के संसदीय सचिवों की गैरकानूनी नियुक्ति पर सवाल खड़े किये थे. राष्ट्रपति को भेजी गई यह शिकायत 100 पन्नों की थी. युवा अधिवक्ता प्रशांत पटेल द्वारा यह याचिका केजरीवाल के विधायकों को संसदीय पद पर नियुक्त करने के सिर्फ 98 दिन बाद दायर कर दी गई थी.
अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने अपनी याचिका में आम आदमी पार्टी के विधायकों की संसदीय सचिव पदों पर नियुक्ति का विरोध किया था. पार्टी द्वारा विधायकों की इस नियुक्ति पर इनका कहना था कि वह लाभ के पद पर हैं और उनकी सदस्यता को अयोग्य घोषित किया जाए. पटेल के ऐसा करने के तुरंत बाद ही केजरीवाल ने साल 2015 में दिल्ली विधानलभा में एक बिल पास किया जिसमें संसदीय सचिवों को लाभ के पद से अलग रखा गया. बिल को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास भेजा गया जिसके बाद उन्होंने यह मामला चुनाव आयोग को सौंप दिया. जिस पर चुनाव आयोग ने नियुक्ति को लाभ का पद माना और सभी 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया.
अधिवक्ता प्रशांत पटेल मूलतः उत्तरप्रदेश के फतेहपुर से हैं. इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जहानाबाद कस्बे के सरस्वती विधा मंदिर स्कूल से पूरी की. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर और फिजिक्स में स्नातक करने वाले पटेल ने स्नातकोत्तर की शिक्षा नोए़डा के फुटवेटर डिजायन एंड डेवलेप्मेंट इंस्टीट्यूट से की है. पटेल ग्रेटर नोएडा की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से एलएलबी उत्तीर्ण हैं.
इससे पहले प्रशांत पटेल 2014 में उस वक्त भी सुर्खियों में आये थे जब उन्होंने फिल्म पीके में हिंदू देवी-देवताओं का गलत चित्रण करने पर अभिनेता आमिर खान और डायरेक्टर राजकुमार हिरानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. जेएनयू कैम्पस में देश-विरोधी नारेबाजी मामले में जब कन्हैया कुमार द्वारा अपनी बेल अर्जी दी गई तब भी इनके द्वारा इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट में कई अर्जियां दी गई एवं विरोध किया गया था.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बने गैर-हिंदू छात्रों की आवाज
वर्ष 2017 के जून माह में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जब गैर-मुस्लिम छात्रों को रमजान के दौरान नाश्ता और लंच ना मिलने का मामला सामने आया तो उस वक्त भी अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने इस मामलें को जोर-शोर से मीडिया और समाज के सामने रखा. इस पर यूनिवर्सिटी प्रशासन को झुकना पड़ा और इसके बाद छात्रों को सुविधाएं मिलने लगी.
राज्यसभा टीवी में नाकाबिल पत्रकारों के मामले का किया था भंड़ाफोड़
यूपीए सरकार के समय उप राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी के कार्यकाल के दौरान RSTV में कुछ ऐसे पत्रकारों को नौकरी दी जा रही थी जो इसके लिए योग्य नहीं थे. इस मामले का को भी इन्होंने उजागर किया था. वेंकैया नायडु के उप राष्ट्रपति बनते ही ऐसे कई लोगों को यहां से निकाला गया.