दिल्ली इस समय बड़े राजनीतिक उठापटक से गुजर रही है. क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने आप को निर्दोष दिखाने के लिए आतिशी मार्लेना को CM बनाकर अपनी चाल चल दी है. लेकिन जनता केजरीवाल के इस झांसे में आने वाली नहीं है. क्योंकि आतिशी ने खुद कहा है कि असली सीएम तो केजरीवाल ही हैं. ऐसे में यह कह देने में कोई संकोच नहीं कि उन्हें तो बस विधानसभा चुनाव तक मोहरा बनाया गया है. असल में केजरीवाल आतिशी को मुखौटा बनाकर चुनाव से पहले हर वो साजिश रचना चाहते हैं जो वह सीएम रहते हुए नहीं कर सकते थे.
बीजेपी के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है कि वह समय की मांग को समझे और किसी एक नेता को अरविंद केजरीवाल के मुकाबले के लिए तैयार करे. इस समय जो नेता बीजेपी के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकती हैं वो हैं पूर्व विदेश मंत्री और दिल्ली की सीएम रह चुकी सुषमा स्वराज की बेटी और नई दिल्ली से वर्तमान लोकसभा सांसद बांसुरी स्वराज.

बांसुरी स्वराज बदल रहीं दिल्ली BJP की तस्वीर
बांसुरी स्वराज को राजनीति भले ही विरासत में मिली हो लेकिन उन्होंने खुद के दम पर अपनी काबिलियत साबित की है. वह सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एड़वोकेट हैं और क्रिमिनल मामलों में महारत रखने वाली वकील के तौर पर पहचान रखती हैं. बांसुरी स्वराज दिल्ली बीजेपी की लीगल सेल की सह-संयोजक हैं और हरियाणा सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता भी हैं. वर्तमान में वह सांसद रहते हुए भ्रष्टाचार के मामलों में अरविंद केजरीवाल सरकार पर जमकर हमलावर रहती हैं और दिल्ली बीजेपी की राजनीति को नई धार देने में लगी हुई हैं.
बीजेपी दिल्ली में महिला नेतृत्व देकर केजरीवाल को दे सकती है मात
अरविंद केजरीवाल ने आतिशी मार्लेना को सीएम बनाकर महिला कार्ड खेला है. यह उनका राजनीतिक पैंतरा मात्र है जिसके लिए वह अक्सर जाने जाते हैं. लेकिन राष्ट्रीय राजधानी की पढ़ी लिखी जनता उनकी इस चाल को भली-भांति समझ रही है और दिल्ली सरकार महिलाओं को इस तरह बेवकूफ नहीं बना सकती. यदि बीजेपी इस मौके को भुनाती है और बांसुरी को दिल्ली में अपना चेहरा बनाती है तो निःसंदेह दिल्ली की जनता अपनी इस बेटी का दिल से स्वागत करेगी और विपक्षी दलों के पास भी इसकी कोई आसान काट नहीं होगी.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से की है पढ़ाई
बांसुरी स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज की बेटी हैं. उनका जन्म 3 जनवरी 1984 को नई दिल्ली में हुआ. उन्होंने भी अपने करियर की शुरुआत अपनी मां की तरह वकालत के पेशे से की. उन्होंने इंग्लैंड की University of Warwick से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की है. इसके अलावा बांसुरी ने लंदन के बीपीपी लॉ स्कूल से कानून की डिग्री भी हासिल की है. बांसुरी स्वराज ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में मास्टर की डिग्री भी हासिल की है. बांसुरी दिल्ली बार काउंसिल में 2007 में शामिल हुई थी और मौजूदा समय मेे सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती हैं. अब तक उन्होंने कई बड़े मामलों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

बांसुरी स्वराज में दिखती है अपनी मां की झलक
बांसुरी स्वराज में अपनी मां सुषमा स्वराज की झलक दिखती हैं. जैसे उनकी मां ने दिल्ली की सीएम रहते हुए जमकर यहां की जनता की सेवा की, जनता के साथ उसी तरह का जुड़ाव बांसुरी स्वराज का भी दिखता है. यही वजह है कि पहली बार 2024 के लोकसभा चुनावों में टिकट मिलते ही जनता ने उन्हें चुनकर संसद में पहुंचा दिया.

कृष्ण भगवान की अनन्य भक्त हैं बांसुरी
बांसुरी स्वराज ने अपने नाम के बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका नाम बांसुरी इसलिए पड़ा कि उनकी मां कृष्ण भक्ति थीं और उनका कहना था कि बांसुरी भगवान कृष्ण को सबसे ज्यादा प्रिय होती है. या तो वह उनके अधरों पर होती है या फिर उनके पीतांबर वस्त्र में वह लगी रहती है. इसीलिए मां ने उनका नाम बांसुरी रखा जो कृष्ण के पास है कृष्ण की प्रिया है. बांसुरी स्वराज भी भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त हैं. इसलिए वह केजरीवाल की ‘हनुमान राजनीति’ का तगड़ा मुकाबला कर सकती हैं. क्योंकि अरविंद केजरीवाल एक तरफ तो हिंदुओं का अपमान करते हैं. वहीं दूसरी तरफ हनुमान जी के भक्त बनकर दिल्ली की भोली-भाली जनता को बेवकूफ बनाते हैं. उनका मुकाबला कोई सच्चा कृष्ण भक्त ही कर सकता है. अब जबकि अरविंद केजरीवाल के कच्चे रंग उतरने लगे हों, ऐसे में यदि बीजेपी बांसुरी स्वराज को आगे करके दिल्ली विधानसभा के चुनावी रण में उतरती है तो फ़तह हासिल करना नामुमकिन नहीं रह जाता है.